बचेली - कोरोना के खतरे के बीच भी जारी है इन योद्धाओं का साहसिक कार्य। dm soni bacheli

Nishpaksh media Junction bacheli खबर वही जो हो सही dm soni 


बचेली - कोरोना के खतरे के बीच भी जारी है इन योद्धाओं का साहसिक कार्य। 


अस्पताल के डॉक्टर सहित लेब टेक्नीशियन भी जान की परवाह किये बगैर ले रहे लोगो का सेम्पल। 


कोरोना के खिलाफ डटे स्वास्थ्य कर्मियों को लगातार बना हुआ है इंफेक्शन का खतरा। 




बचेली - कोविड 19 कोरोना का खतरा दिन ब दिन बढ़ता ही जा रहा है। वैसे तो सभी विभाग के लोग दिन रात इसकी रोकथाम में लगे हुए है परंतु कोरोना से आमने सामने की लड़ाई लड़ने वाले असली जांबाज हमारे स्वास्थ्य विभाग के लोग असली योद्धा है। डॉक्टर एवं स्टाफ कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए अस्पतालों में सबसे आगे मोर्चा संभाले हुए हैं। 



हालांकि, सर्वाधिक चिंता इस बात को लेकर पैदा हो गई है कि देश भर में कोरोना वायरस से संक्रमित स्वास्थ्य कर्मचारियों की कुल संख्या तेजी से बढ़ी है। एनएमडीसी अपोलो अस्पताल बचेली के डॉ मोइनुद्दीन,डॉ सरिता लैब टेक्नीशियन सुनील कुमार शार्दूल, सहायक जगदीश प्रसाद,सिस्टर पम्मी सहित अन्य स्टाफ ये सभी लोग अपनी जान की परवाह किये बगैर बचेली नगर वासियो की सुरक्षा कर रहे है। इनके द्वारा बाहरी राज्यो से आये हुए लोग रेड ज़ोन से आने वाले लोगो का सेम्पल कलेक्शन करके जगदलपुर मेडिकल कालेज भेजा जा रहा है संक्रमण के खतरे के बीच ये लोग दिन-रात रोगियों का उपचार करने में डटे हैं। 



दुनिया भर में कितने ही स्वास्थ्य कर्मचारियों की जान कोरोना संक्रमण से जा चुकी है, फिर भी वे दिलेरी से इसका सामना कर रहे हैं। कितने ही डॉक्टर कोरोना से संक्रमित होने के बाद ठीक होते ही फिर से अपनी ड्यूटी ज्वाइन करके मोर्चा संभाल रहे हैं इन कोरोना योद्धाओं का नगरवासियो ने सम्मान भी किया था। इन असली योद्धाओं को निष्पक्ष मीडिया जंक्शन सलाम करती है। 



लैब टेक्नीशियन सुनील कुमार शार्दूल के मुताबिक रोजाना लगभग 70 से 80 मरीज अस्पताल कोरोना जांच हेतु आ रहे है। परंतु इनमें से जिन मरीजो में प्रारंभिक लक्षण दिखाई दे रहे है। उन मरीजो का ही सेम्पल आरटी पीसीआर जांच हेतु भेजा जा रहा है। लगभग 25 मरीजो का सेम्पल रोजाना मेडिकल कॉलेज डिमरापाल भेजा जा रहा है। अपनी व्यथा बताते हुए सुनील कहते है की जांच के दौरान मरीजो के नाक एवं मुँह से नमूने लेते वक्त कई बार लोग खांसते छींकते भी है जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। पीपीई किट कई बार मरीज की संख्या ज्यादा होने की वजह से 5 घण्टो तक पहनना पड़ता है जिससे दम घुटने वाली जनलेवा गर्मी शरीर की सारी ऊर्जा नष्ट कर देती है। घर जाते है तो परिवार वालो के पास जाने से भय बना रहता है की कही परिवार वाले संक्रमित ना हो जाये। कभी कभी इन सब की वजह से मानसिक तनाव होता है परंतु कार्य के प्रति समर्पण एवं लोगो की रक्षा करने की भावना के चलते जो शक्ति,ऊर्जा मिलती है, इससे दोबारा काम पर जाते वक्त सारा तनाव दूर हो जाता है। 





Post a Comment

0 Comments