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बचेली - आज पहली बार लौहनगरी में नही मनाया गया मई दिवस।
एसकेएमएस कार्यालय में सिर्फ झंडा फहराकर मनाया गया मई दिवस।
हम मेहनतकश जग वालों से जब अपना हिस्सा मांगेंगे,
इक खेत नहीं, इक देश नहीं, हम सारी दुनिया मांगेंगे।
बचेली - लौहनगरी में इस बार मई दिवस लाकडाउन की वजह से नही मनाया जा रहा है। ये पहला मौका है जब अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस ( मई दिवस ) नही मनाया जा रहा है। लॉक डाउन का पालन करते हुए चुनिंदा पदधिकारियो के द्वारा एसकेएमएस कार्यालय में झंडा फहराकर मनाया गया अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस। इस उपलक्ष्य में किये जाते थे विभिन्न आयोजन। जिसमे केंद्रीय विद्यालय में महिलाओ के द्वारा विभिन्न खेलो का किया जाता था आयोजन।
आपको बता दे की हर साल 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस", श्रम दिवस या मई दिवस (International Labour Day) मनाया जाता है। इसे पहली बार 1 मई 1886 को मनाया गया था। भारत में इसे सबसे पहले 1 मई 1923 को मनाया गया था। जब लेबर किसान पार्टी ऑफ हिन्दुस्तान ने चेन्नई में इसकी शुरुआत की थी। इसका मुख्य उद्देश्य मजदूरों को सम्मान और हक दिलाना है। इस मौके पर फैज अहमद ‘फैज’ की रचना को याद किया जाता हैं, जिसमें उन्होंने मजदूरों के हक की बात की है।
अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस का इतिहास
1 मई 1886 को अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस की शुरुआत एक क्रांति के रूप में हुई थी। जब हजारों की संख्या में मजदूर सड़क पर आ गए। ये मजदूर लगातार 10-15 घंटे काम कराए जाने के खिलाफ थे। उनका कहना था कि उनका शोषण किया जा रहा है। इस भीड़ पर तत्कालीन सरकार ने गोली चलवा दी थी, जिसमें सैकड़ों मजदूरों की मौत हो गई थी। इस घटना से दुनिया स्तब्ध हो गई थी। इसके बाद 1889 में अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन की दूसरी बैठक हुई। इस बैठक में यह घोषणा की गई हर साल 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाएगा और इस दिन मजदूरों को छुट्टी दी जाएगी। साथ ही काम करने की अवधि केवल 8 घंटे होगी। इसके बाद से हर साल 1 मई को मजदूर दिवस मनाया जाता है।
भारत में मजदूर दिवस
भारत में इसे पहली बार 1 मई 1923 को मनाया गया था। इसकी शुरुआत लेबर किसान पार्टी ऑफ हिन्दुस्तान के नेता कामरेड “सिंगरावेलू चेट्यार” ने की थी। जब उनकी अध्यक्षता में मद्रास हाईकोर्ट के सामने मजदूर दिवस मनाया गया। उस समय से हर साल देशभर में मजदूर दिवस मनाया जाता है।
अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस का महत्व
इस दिन दुनियाभर में मजदूर संघ संगोष्ठी आयोजित की जाती है, जिसमें मजदूरों की आवाज को बुलंद किया जाता है। उनके हक और सम्मान का अवलोकन किया जाता है।
बचेली - आज पहली बार लौहनगरी में नही मनाया गया मई दिवस।
एसकेएमएस कार्यालय में सिर्फ झंडा फहराकर मनाया गया मई दिवस।
हम मेहनतकश जग वालों से जब अपना हिस्सा मांगेंगे,
इक खेत नहीं, इक देश नहीं, हम सारी दुनिया मांगेंगे।
बचेली - लौहनगरी में इस बार मई दिवस लाकडाउन की वजह से नही मनाया जा रहा है। ये पहला मौका है जब अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस ( मई दिवस ) नही मनाया जा रहा है। लॉक डाउन का पालन करते हुए चुनिंदा पदधिकारियो के द्वारा एसकेएमएस कार्यालय में झंडा फहराकर मनाया गया अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस। इस उपलक्ष्य में किये जाते थे विभिन्न आयोजन। जिसमे केंद्रीय विद्यालय में महिलाओ के द्वारा विभिन्न खेलो का किया जाता था आयोजन।
आपको बता दे की हर साल 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस", श्रम दिवस या मई दिवस (International Labour Day) मनाया जाता है। इसे पहली बार 1 मई 1886 को मनाया गया था। भारत में इसे सबसे पहले 1 मई 1923 को मनाया गया था। जब लेबर किसान पार्टी ऑफ हिन्दुस्तान ने चेन्नई में इसकी शुरुआत की थी। इसका मुख्य उद्देश्य मजदूरों को सम्मान और हक दिलाना है। इस मौके पर फैज अहमद ‘फैज’ की रचना को याद किया जाता हैं, जिसमें उन्होंने मजदूरों के हक की बात की है।
अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस का इतिहास
1 मई 1886 को अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस की शुरुआत एक क्रांति के रूप में हुई थी। जब हजारों की संख्या में मजदूर सड़क पर आ गए। ये मजदूर लगातार 10-15 घंटे काम कराए जाने के खिलाफ थे। उनका कहना था कि उनका शोषण किया जा रहा है। इस भीड़ पर तत्कालीन सरकार ने गोली चलवा दी थी, जिसमें सैकड़ों मजदूरों की मौत हो गई थी। इस घटना से दुनिया स्तब्ध हो गई थी। इसके बाद 1889 में अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन की दूसरी बैठक हुई। इस बैठक में यह घोषणा की गई हर साल 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाएगा और इस दिन मजदूरों को छुट्टी दी जाएगी। साथ ही काम करने की अवधि केवल 8 घंटे होगी। इसके बाद से हर साल 1 मई को मजदूर दिवस मनाया जाता है।
भारत में मजदूर दिवस
भारत में इसे पहली बार 1 मई 1923 को मनाया गया था। इसकी शुरुआत लेबर किसान पार्टी ऑफ हिन्दुस्तान के नेता कामरेड “सिंगरावेलू चेट्यार” ने की थी। जब उनकी अध्यक्षता में मद्रास हाईकोर्ट के सामने मजदूर दिवस मनाया गया। उस समय से हर साल देशभर में मजदूर दिवस मनाया जाता है।
अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस का महत्व
इस दिन दुनियाभर में मजदूर संघ संगोष्ठी आयोजित की जाती है, जिसमें मजदूरों की आवाज को बुलंद किया जाता है। उनके हक और सम्मान का अवलोकन किया जाता है।
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