Nishpaksh media Junction bacheli खबर वही जो हो सही dm soni
बचेली - रायपुर एडिशनल एसपी ( आरटीओ ) श्री अंशुमान सिंह सिसोदिया ने पेश की मानवता की मिसाल।
लाकडाउन के बीच ब्लड केंसर से पीड़ित बच्चे को दूसरे राज्य में भिजवाई केंसर की दवा आर्थिक सहयोग भी दिया।
बचेली - कहते है ना जिसका कोई नही होता उसका भगवान होता है। नगर के वार्ड क्रमांक 17 में रहने वाले रीमन सुनानी जो की फ़ोटो फ्रेमिंग की दुकान में रोजी में काम करता है। जबसे लाकडाउन हुआ रीमन बेरोजगार है,लगभग 15 दिनों से लाकडाउन के चलते अपने 9 वर्षीय बेटे नवीन सुनानी जो विगत 4 माह से ब्लड कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित है। उसको लेकर पिता ने बचेली में खाना पीना तक छोड़ दिया था गरीब पिता को दिन रात सिर्फ एक ही चिंता सता रही थी की किसी तरह नवीन जो कि ओडिसा राज्य के देवभोग के पास स्थित खापरडीह गाँव में अपनी माता एवं भाई के साथ के रह रहा है।
नवीन सुनानी
उस बच्चे की ब्लड केंसर की दवा खत्म होने वाली थी डाक्टरो ने दवाई एक दिन भी बंद नही करने कहा था पिता की परेशानी देखकर रघु जो कि बचेली से कांग्रेस के एल्डरमैन है उन्होंने तहसीलदार महोदय से मिलकर इस बारे में जानकारी दी पास बनाकर दिए जाने हेतु विनती की रीमन के लिए रघु ने एक स्कूटी भी जुगाड़ दी रीमन अपने बच्चे के लिए स्कूटी में दवाई लेकर देवभोग खपराडीह ओडिसा जाना चाहता था। परंतु तहसीलदार महोदय ने ऑनलाइन पास बनवाने हेतु सलाह दी ।
उन्होंने पिता को समझाया कि दवाई आपके बच्चे तक पहुंच जाएगी आप चिंता ना करे। सतीश प्रेम चंदानी ने रायपुर के एडिशनल एसपी ( आरटीओ ) श्री अंशुमान सिंह सिसोदिया को उस बच्चे के बारे में बताया जिसके बाद एडिशनल एसपी श्री अंशुमान सिंह सिसोदिया ने अपने निजी खर्च से तत्काल दवा का प्रबंध रायपुर में किया एवं उस बच्चे तक एक महीने की दवा घर तक तो भिजवाई ही साथ ही परिवार की स्थिति देखकर 5000 रुपये भी बच्चे तक पहुँचवाये। आपको बता दें कि श्री अंशुमान सिंह सिसोदिया सर पूर्व में दंतेवाड़ा जिले के किरंदुल में एसडीओपी पद पर नियुक्त थे । उनके सरल एवं हेल्पिंग नेचर की वजह से आज भी इन्हें किरंदुल बचेली के लोग याद करते है।
जब पिता को इस बारे में पता चला की उसके बच्चे तक दवा पंहुच गयी है एवं साहब ने रुपये भी भिजवाये है ये सुनकर पिता की आंखे नम हो गयी पिता रीमन सुनानी ने इस कार्य के लिए जितने लोगो ने सहायता की एवं विशेष रायपुर एडिशनल एसपी अंशुमान सिंह सिसोदिया सर को बहुत बहुत आभार जताया है। पिता के मुताबिक ईश्वर के भेजे हुए दूत के रूप में साहब ने उसके बच्चे की मदद की है। पिता ने ये भी कहा कि आज भी दुनिया मे साहब जैसे भले लोग मौजूद है जो बिना किसी स्वार्थ के बिना किसी पहचान के लोगो की मदद करते है। पिता के मुताबिक उसने कर्ज लेकर दवाई भिजवाने का प्रबंध किया दवाई का एक पत्ता जिसमे 10 गोलियां आती है। 2000 रुपये एक पत्ते की कीमत है।
रीमन 4 महीने से बच्चे का इलाज करवा रहा है। शुरुआत में बचेली,दंतेवाड़ा,जगदलपुर में बच्चे का इलाज करवाया परंतु बीमारी का पता नही चला बच्चे की हालत बिगड़ती ही चली गयी। विशाखापट्नम ले जाने के बाद जांच में पता चला कि बेटे को ब्लड कैंसर है। जिसके बाद इलाज में एक लाख रुपये का बिल बना जिसे लोगो से कर्ज लेकर चुकाना पड़ा पिता का कहना था कि बेटे की दवाई को पहुंचाने की चिंता में एक हफ्ते से ठीक से खाना नही खा पा रहे थे। वहां बच्चे की दवाई पहुंचने के बाद उस परिवार की मुस्कान भी लौट आयी है। इन सब के बीच पुलिस का एक मानवीय चेहरा भी देखने मिलता है जो लोगो की सोच को बदलने में कारगर होगा।
बचेली - रायपुर एडिशनल एसपी ( आरटीओ ) श्री अंशुमान सिंह सिसोदिया ने पेश की मानवता की मिसाल।
श्री अंशुमान सिंह सिसोदिया सर
बचेली - कहते है ना जिसका कोई नही होता उसका भगवान होता है। नगर के वार्ड क्रमांक 17 में रहने वाले रीमन सुनानी जो की फ़ोटो फ्रेमिंग की दुकान में रोजी में काम करता है। जबसे लाकडाउन हुआ रीमन बेरोजगार है,लगभग 15 दिनों से लाकडाउन के चलते अपने 9 वर्षीय बेटे नवीन सुनानी जो विगत 4 माह से ब्लड कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित है। उसको लेकर पिता ने बचेली में खाना पीना तक छोड़ दिया था गरीब पिता को दिन रात सिर्फ एक ही चिंता सता रही थी की किसी तरह नवीन जो कि ओडिसा राज्य के देवभोग के पास स्थित खापरडीह गाँव में अपनी माता एवं भाई के साथ के रह रहा है।
नवीन सुनानी
उस बच्चे की ब्लड केंसर की दवा खत्म होने वाली थी डाक्टरो ने दवाई एक दिन भी बंद नही करने कहा था पिता की परेशानी देखकर रघु जो कि बचेली से कांग्रेस के एल्डरमैन है उन्होंने तहसीलदार महोदय से मिलकर इस बारे में जानकारी दी पास बनाकर दिए जाने हेतु विनती की रीमन के लिए रघु ने एक स्कूटी भी जुगाड़ दी रीमन अपने बच्चे के लिए स्कूटी में दवाई लेकर देवभोग खपराडीह ओडिसा जाना चाहता था। परंतु तहसीलदार महोदय ने ऑनलाइन पास बनवाने हेतु सलाह दी ।
जिसके बाद पिता ने ऑनलाइन पास का अनुरोध भी भरा परंतु वो स्वीकार नही किया गया। जिसके बाद आस खो चुके पिता की तकलीफ देखकर रघु ने निष्पक्ष मीडिया से इस बारे में बात की एवं प्रयास एम्बुलेंस के माध्यम से पिता रीमन जो अपने बच्चे के लिए दवाई लेकर जाना चाहते थे उसकी जानकारी दी निष्पक्ष मीडिया के डीएम सोनी ने तुरंत ही प्रयास के अध्यक्ष सतीश प्रेमचंदानी से पीड़ित की बात कराई सतीश प्रेमचंदानी ने उस बच्चे के पिता को समझाया कि नियम के हिसाब से एम्बुलेंस में सिर्फ मरीज जो कि गंभीर हालत में हो एवं रेफर किया गया हो उसी को भेजा जा रहा है। दवाई लेकर लगभग 650 किलोमीटर दूर जाना संभव नही है पिता मायूस हो गए जिसके बाद प्रयास के अध्यक्ष सतीश प्रेमचंदानी जो कि हमेशा से असहाय लोगो की मदद करते आये है।
उन्होंने पिता को समझाया कि दवाई आपके बच्चे तक पहुंच जाएगी आप चिंता ना करे। सतीश प्रेम चंदानी ने रायपुर के एडिशनल एसपी ( आरटीओ ) श्री अंशुमान सिंह सिसोदिया को उस बच्चे के बारे में बताया जिसके बाद एडिशनल एसपी श्री अंशुमान सिंह सिसोदिया ने अपने निजी खर्च से तत्काल दवा का प्रबंध रायपुर में किया एवं उस बच्चे तक एक महीने की दवा घर तक तो भिजवाई ही साथ ही परिवार की स्थिति देखकर 5000 रुपये भी बच्चे तक पहुँचवाये। आपको बता दें कि श्री अंशुमान सिंह सिसोदिया सर पूर्व में दंतेवाड़ा जिले के किरंदुल में एसडीओपी पद पर नियुक्त थे । उनके सरल एवं हेल्पिंग नेचर की वजह से आज भी इन्हें किरंदुल बचेली के लोग याद करते है।
पिता रीमन सुनानी
जब पिता को इस बारे में पता चला की उसके बच्चे तक दवा पंहुच गयी है एवं साहब ने रुपये भी भिजवाये है ये सुनकर पिता की आंखे नम हो गयी पिता रीमन सुनानी ने इस कार्य के लिए जितने लोगो ने सहायता की एवं विशेष रायपुर एडिशनल एसपी अंशुमान सिंह सिसोदिया सर को बहुत बहुत आभार जताया है। पिता के मुताबिक ईश्वर के भेजे हुए दूत के रूप में साहब ने उसके बच्चे की मदद की है। पिता ने ये भी कहा कि आज भी दुनिया मे साहब जैसे भले लोग मौजूद है जो बिना किसी स्वार्थ के बिना किसी पहचान के लोगो की मदद करते है। पिता के मुताबिक उसने कर्ज लेकर दवाई भिजवाने का प्रबंध किया दवाई का एक पत्ता जिसमे 10 गोलियां आती है। 2000 रुपये एक पत्ते की कीमत है।
रीमन 4 महीने से बच्चे का इलाज करवा रहा है। शुरुआत में बचेली,दंतेवाड़ा,जगदलपुर में बच्चे का इलाज करवाया परंतु बीमारी का पता नही चला बच्चे की हालत बिगड़ती ही चली गयी। विशाखापट्नम ले जाने के बाद जांच में पता चला कि बेटे को ब्लड कैंसर है। जिसके बाद इलाज में एक लाख रुपये का बिल बना जिसे लोगो से कर्ज लेकर चुकाना पड़ा पिता का कहना था कि बेटे की दवाई को पहुंचाने की चिंता में एक हफ्ते से ठीक से खाना नही खा पा रहे थे। वहां बच्चे की दवाई पहुंचने के बाद उस परिवार की मुस्कान भी लौट आयी है। इन सब के बीच पुलिस का एक मानवीय चेहरा भी देखने मिलता है जो लोगो की सोच को बदलने में कारगर होगा।
0 Comments