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राजनीति के मैदान में भी जारी है विक्रम शाह मंडावी की धुंआधार बल्लेबाजी।
एक क्रिकेटर से विधायक तक का सफर किस तरह बनाई लोगो के दिलो में जगह जानिए इस स्टोरी से ।
दिनेश शर्मा गीदम की कलम से
क्रिकेट के मैदान में सफल कप्तानी के साथ धुँवाधार बल्लेबाजी कर विपक्षी टीम के सामने चुनोति पूर्ण स्कोर खडा करने वाले बल्लेबाज.. जिसके मैदान में उतरते ही टीम के साथियों के साथ दर्शकों में भी आत्म विश्वास होता था की.. वो एक बड़ी चुनोति के रूप में स्कोर खड़ा करेगे..! युवा किक्रेटर के बल्ले से उड़ने वाली गेंद मैदान के फील्डरों को भी हतप्रद कर देती थी.. हम बात कर रहे है उस तूफानी बल्लेबाज की जिसे खेल के मैदान में टाइट फिल्डिंग के बाद भी इस बात का भली भांति ज्ञान था की कैसे ओर किस दिशा से रन निकलेगा.? इस बात का जिसे खेल के मैदान से ही अनुभव हो..?
ऐसा खिलाड़ी जो मुस्तेदी के साथ एक बड़े स्कोर का लक्ष्य खड़ाकर सामने वाली टीम की मुश्किले खड़े कर देने वाला बल्लेबाज कोई और नही.. हम यहाँ उस क्रिकेटर की बात कर रहे जो राजनीति के मैदान में भी धुँवाधार बल्लेबाजी कर विपक्षी पार्टी के लिये बहुत बड़ी चुनोती बनते जा रहे है.. क्रिकेट के मैदान से राजनीति के मैदान तक का सफर तय करने वाला शख्स ओर कोई नही वो है.. बीजापुर के युवा विधायक विक्रम शाह मंडावी.. जिन्होंने खेल को खिलाड़ी भावना के साथ जीत के प्रति सदैव गम्भीरता के साथ खेला..! खेल के मैदान में अपने प्रदर्शन से कभी किसी को मायूस नही होने दिया ..! उन दिनी जब बल्ले के साथ मैदान की ओर कदम बढ़ते थे तो.. दर्शकों में जोश देखते बनता था.. दर्शकों को उनसे एक बड़े स्कोर की उम्मीद होती थी.. जिस दिशा में बल्ला घूमता तो उसके स्पर्श में आई गेंद से चौके छक्के ही लगते थे.. उससे बड़ी बात इस बल्लेबाज की यह थी की विपक्षी टीम की कितनी भी टाइट फिल्डिंग क्यो न हो.. उन्हें इस बात का गहरा अनुभव था की रन कहा से ओर कैसे निकाला जाता है.. ऐसी परिपक्कता जिसकी खेल के मैदान से हो... तो उनके जीवन मे सफलता की बहुत ज्यादा उम्मीद होती ही है.. समय पलटा ओर खेल के मैदान से उन्होंने राजनीति के मैदान की ओर रुख किया.. उनकी काग्रेस में एंट्री हुई तथा राजनीति में प्रवेश के बाद उन्हें जल्द ही जनपद पंचायत भैरमगढ़ के अध्यक्ष के रूप में जनता सेवा का अवसर मिला..!
एक सफल जनपद अध्यक्ष के रूप में पहली पारी उन्होंने पूरी की जनता के बीच में स्वच्छ छवि के साथ उनकी लोकप्रियता के चलते पहली बार विधायक उम्मीदवार के रूप में बीजापुर विधान सभा से काग्रेस की ओर से मैदान में उतारा गया..मगर यहा किस्मत ने इस धुँवाधार बेट्स मैन को राजनीति के मैदान में अपने ही फील्डरों के चलते विपक्ष से जीती बाजी हार के रूप में देखने को मिली और एक बार हार का सामना करना पड़ा.. जनता के फैसले का सम्मान करते हुवे पराजय के बाद दृढ संकल्प लेते हुवे पराजय के दिन से ही जीत का लक्ष्य लेकर राजनीति मैदान में 5 साल तक जनता के बीच में रहकत उनकी समस्याओ के निजात के लिए कड़ा संघर्ष ही नही किया.. बल्कि दुख सुख के साथी के रूप में अपनी छवि बनाई..रात ओर दिन केवल जनता के लिए समर्पित करते हुवे काग्रेस के जिला कप्तान की जबाबदारी उनके कंधों पर थी उन्होंने अपने दायित्व का निर्वाहन भी कुशल राजनीतिज्ञ के रूप में करते हुवे राजनीति मैदान की फिल्डिंग में काग्रेस की टीम को सत्ता पर आसीन भाजपा टीम की घेरा बंदी को ओर तगड़ी कसावट देकर उन्हें 5 साल तक घेरे रखा.. जिसका परिणाम यह हुवा की विक्रम मंडावी की धुँवाधार बेटिंग के आगे कदावर विपक्षी राजनीति के धुरंदर महेश गागड़ा जी की ओर से धुँवाधार राजनीति बालिग़ पर विक्रम शाह मंडावी ने जमकर धुनाई करते हुवे चौका चक्का जड़ा..ओर राजनीति बल्लेबाजी में जीत का परचम लहराकर काग्रेस के खोये रर्निग सील्ड को एक बार काग्रेस की झोली में अपने विधायक के रूप में लौटाया. इसी के साथ बीजापुर की जनता ने राजनीति में एक बड़ी पारी खेलने का मौका विक्रम शाह मंडावी जी को दिया..श्री मंडावी के विधायक बनने के बाद उनके सामने एक बहुत बड़ी चुनोती का समय तब आया.. जब दन्तेवाड़ा विधान सभा के उप चुनाव में उन्हें गीदम विकास खण्ड की जबाबदारी सौपी गई.. यह बहुत बड़ी चुनोती इस लिए थी क्योकि बीजापुर विधान सभा से लगा क्षैत्र होने के साथ बीजेपी का बहुत बड़ा वोट बैंक भी था.! जिसके दम पर बीजेपी काग्रेस को मात देती आ रही थी..यह वही क्षैत्र था जो काग्रेस के लिये हमेशा गड्ढा साबित हुवा करता था..! विक्रम शाह के लिये ये बहुत बड़ी चुनोति थी की वो भाजपा के इस वोट बैंक को कैसे तोड़कर काग्रेस के वोट बैंक में तब्दील करे.. हालांकि उप चुनाव में बहुत बड़ी राजनीति हस्तियां लगी थी.. मगर सबको इस बात पर भरोसा था की गीदम विकास खण्ड में अगर बीजेपी के बोट बैक को कोई सेंध लगा सकता है तो वो बीजापुर विधायक विक्रम शाह मंडावी ही है.. जो असम्भव को सम्भव में तब्दील करने की योग्यता रखते है.. इस लिये काग्रेस ने उन्हें गीदम विकास खण्ड का प्रभारी बनाकर जबाबदारी सौपी..राजनीति में पूरी तरह रम चुके विक्रम मंडावी ने पार्टी की द्वारा ही गई जबाबदारी को चुनोती समझकर मैदान में डट गये..अपने व्यक्तिगत व्यवहार तथा उनकी लोकप्रियता के चलते गीदम विकास खण्ड के अंतिम गांव के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचकर काग्रेस का जबरदस्त माहौल बनाया और रिकॉड तोड़ बोट दिलाकर एक बहुत बड़ा लक्ष्य भाजपा के सामने खड़ाकर दिया..जिसे छू पाना किसी के बस में नही था..विक्रम शाह मंडावी के द्वारा खड़े किये गये स्कोर के चलते भाजपा कही भी आगे नही बढ़ सकी.. क्योकि भाजपा को जिस क्षेत्र से बढ़त के साथ विजय होने का रास्ता मिलता था.. वहां विक्रम शाह ने बहुत बड़े स्पीड ब्रेकर जो खड़े कर दिये.. जिसके चलते भाजपा की सुपर फास्ट एक्सप्रेस की गति लोकल की रफ्तार भी नही पकड़ सकी..परिणाम यह हुवा की देवती कर्मा जी की इतिहासिक जीत हुई.. ओर युवा विधायक विक्रम शाह मंडावी की लोकप्रियता में भारी इजाफा होता चला गया.. अपने विधायक बनने के बाद अपने ही ग्रह जिला बीजापुर के नगरी निकायों के चुनाव में काग्रेस का परचम सभी जगह लहराया.. तो वही जिले की सभी जनपद पंचायतों में काग्रेस का कब्जा भी हुवा.. जिला पंचायत बीजापुर में काग्रेस का दबदबा फिर कायम हुवा..! अब हम बात करते है.. बीजापुर जिले से लगे दन्तेवाड़ा जिले की जहा काग्रेस कई जगह पर पिछड़ती हुई जरूर दिखी.. नगरी निकाय में तो जिला मुख्यालय दन्तेवाड़ा तथा प्राचीन नगरी बारसूर की नगरी निकाय को भाजपा ने काग्रेस से छीना.. तो गीदम बचेली बैलाडीला को काग्रेस ने बीजेपी से छीन लिया.! जनपद पंचायतो की बात करे तो जिले की 4 में 3 पर भाजपा ने कब्जा जमाया.. तो काग्रेस को 1 स्थान पर ही संतोष करना पड़ा.. जिला पंचायत दन्तेवाड़ा की 10 सदस्यों की पंचायत में भाजपा 5 काग्रेस 3 तथा 1 निर्दलीय व 1 सीपीआई ने अपना दबदबा बनाया.. जिला पंचायत के परिणामो के बाद कयास यह लगाया जा रहा था की जिला पंचायत पर भाजपा आसानी से अपना कब्जा बना लेगी..? जिला पंचायत दन्तेवाड़ा के परिणाम के बाद काग्रेस की नाजुक स्थिति को देखते हुवे काग्रेस पार्टी ने एक बार फिर ऐसी विषम परिस्थिति में विक्रम शाह मंडावी को दन्तेवाड़ा का चुनाव प्रभारी बनाकर भेजा.. यह उनके राजनीति परिपक्कता की बहुत बड़ी परीक्षा थी..जब काग्रेस के 3 सदस्यों वाली जिला पंचायत में काग्रेस की जिला सरकार बनानी थी..जहा उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी तूलिका कर्मा से मिलकर वह कमाल कर दिखाया जिसकी सम्भावना दूर दूर तक किसी को नही थी.राजनीति सूझबूझ ओर त्वरित निर्णय के साथ सीपीआई का समर्थन जुटाना आसान नही था..सबसे बडे आश्चर्य की बात यहा यह हुई की अध्यक्ष उपाध्यक्ष दोनो पद चुनाव प्रभारी ने काग्रेस की झोली में डाल दिया..क्रिर्केट के मैदान से राजनीति के मैदान तक धुँवाधार बल्लेबाजी ने विपक्ष की टीम को सोचने को मजबूर कर दिया की विक्रम शाह मंडावी के बल्ले से निकली गेंद केवल स्कोर खड़ा करने के लिये होती है...? जिसे लपकना विपक्ष के बूते के बहार है..विधायक विक्रम मंडावी के मिलनसार व्यक्तित्व के चलते वो लोंगो के दिलो को छू लेते है ओर यही वजह है की हर चुनोति पर उन्हें सफलता मिल रही है..!विक्रम मंडावी जी क्रिकेट के मैदान से राजनीति के मैदान तक के सफर में उनकी धुँवाधार बल्लेबाजी की मिशाल देखने को मिलती है..!उनकी काबिलियत ने उनकी लोकप्रियता को ओर अधिक निखारता प्रदान की..!जो उनके उज्ज्वल भविष्य के संकेत देते है..!
【 दिनेश शर्मा गीदम 】
राजनीति के मैदान में भी जारी है विक्रम शाह मंडावी की धुंआधार बल्लेबाजी।
एक क्रिकेटर से विधायक तक का सफर किस तरह बनाई लोगो के दिलो में जगह जानिए इस स्टोरी से ।
दिनेश शर्मा गीदम की कलम से
क्रिकेट के मैदान में सफल कप्तानी के साथ धुँवाधार बल्लेबाजी कर विपक्षी टीम के सामने चुनोति पूर्ण स्कोर खडा करने वाले बल्लेबाज.. जिसके मैदान में उतरते ही टीम के साथियों के साथ दर्शकों में भी आत्म विश्वास होता था की.. वो एक बड़ी चुनोति के रूप में स्कोर खड़ा करेगे..! युवा किक्रेटर के बल्ले से उड़ने वाली गेंद मैदान के फील्डरों को भी हतप्रद कर देती थी.. हम बात कर रहे है उस तूफानी बल्लेबाज की जिसे खेल के मैदान में टाइट फिल्डिंग के बाद भी इस बात का भली भांति ज्ञान था की कैसे ओर किस दिशा से रन निकलेगा.? इस बात का जिसे खेल के मैदान से ही अनुभव हो..?
ऐसा खिलाड़ी जो मुस्तेदी के साथ एक बड़े स्कोर का लक्ष्य खड़ाकर सामने वाली टीम की मुश्किले खड़े कर देने वाला बल्लेबाज कोई और नही.. हम यहाँ उस क्रिकेटर की बात कर रहे जो राजनीति के मैदान में भी धुँवाधार बल्लेबाजी कर विपक्षी पार्टी के लिये बहुत बड़ी चुनोती बनते जा रहे है.. क्रिकेट के मैदान से राजनीति के मैदान तक का सफर तय करने वाला शख्स ओर कोई नही वो है.. बीजापुर के युवा विधायक विक्रम शाह मंडावी.. जिन्होंने खेल को खिलाड़ी भावना के साथ जीत के प्रति सदैव गम्भीरता के साथ खेला..! खेल के मैदान में अपने प्रदर्शन से कभी किसी को मायूस नही होने दिया ..! उन दिनी जब बल्ले के साथ मैदान की ओर कदम बढ़ते थे तो.. दर्शकों में जोश देखते बनता था.. दर्शकों को उनसे एक बड़े स्कोर की उम्मीद होती थी.. जिस दिशा में बल्ला घूमता तो उसके स्पर्श में आई गेंद से चौके छक्के ही लगते थे.. उससे बड़ी बात इस बल्लेबाज की यह थी की विपक्षी टीम की कितनी भी टाइट फिल्डिंग क्यो न हो.. उन्हें इस बात का गहरा अनुभव था की रन कहा से ओर कैसे निकाला जाता है.. ऐसी परिपक्कता जिसकी खेल के मैदान से हो... तो उनके जीवन मे सफलता की बहुत ज्यादा उम्मीद होती ही है.. समय पलटा ओर खेल के मैदान से उन्होंने राजनीति के मैदान की ओर रुख किया.. उनकी काग्रेस में एंट्री हुई तथा राजनीति में प्रवेश के बाद उन्हें जल्द ही जनपद पंचायत भैरमगढ़ के अध्यक्ष के रूप में जनता सेवा का अवसर मिला..!
एक सफल जनपद अध्यक्ष के रूप में पहली पारी उन्होंने पूरी की जनता के बीच में स्वच्छ छवि के साथ उनकी लोकप्रियता के चलते पहली बार विधायक उम्मीदवार के रूप में बीजापुर विधान सभा से काग्रेस की ओर से मैदान में उतारा गया..मगर यहा किस्मत ने इस धुँवाधार बेट्स मैन को राजनीति के मैदान में अपने ही फील्डरों के चलते विपक्ष से जीती बाजी हार के रूप में देखने को मिली और एक बार हार का सामना करना पड़ा.. जनता के फैसले का सम्मान करते हुवे पराजय के बाद दृढ संकल्प लेते हुवे पराजय के दिन से ही जीत का लक्ष्य लेकर राजनीति मैदान में 5 साल तक जनता के बीच में रहकत उनकी समस्याओ के निजात के लिए कड़ा संघर्ष ही नही किया.. बल्कि दुख सुख के साथी के रूप में अपनी छवि बनाई..रात ओर दिन केवल जनता के लिए समर्पित करते हुवे काग्रेस के जिला कप्तान की जबाबदारी उनके कंधों पर थी उन्होंने अपने दायित्व का निर्वाहन भी कुशल राजनीतिज्ञ के रूप में करते हुवे राजनीति मैदान की फिल्डिंग में काग्रेस की टीम को सत्ता पर आसीन भाजपा टीम की घेरा बंदी को ओर तगड़ी कसावट देकर उन्हें 5 साल तक घेरे रखा.. जिसका परिणाम यह हुवा की विक्रम मंडावी की धुँवाधार बेटिंग के आगे कदावर विपक्षी राजनीति के धुरंदर महेश गागड़ा जी की ओर से धुँवाधार राजनीति बालिग़ पर विक्रम शाह मंडावी ने जमकर धुनाई करते हुवे चौका चक्का जड़ा..ओर राजनीति बल्लेबाजी में जीत का परचम लहराकर काग्रेस के खोये रर्निग सील्ड को एक बार काग्रेस की झोली में अपने विधायक के रूप में लौटाया. इसी के साथ बीजापुर की जनता ने राजनीति में एक बड़ी पारी खेलने का मौका विक्रम शाह मंडावी जी को दिया..श्री मंडावी के विधायक बनने के बाद उनके सामने एक बहुत बड़ी चुनोती का समय तब आया.. जब दन्तेवाड़ा विधान सभा के उप चुनाव में उन्हें गीदम विकास खण्ड की जबाबदारी सौपी गई.. यह बहुत बड़ी चुनोती इस लिए थी क्योकि बीजापुर विधान सभा से लगा क्षैत्र होने के साथ बीजेपी का बहुत बड़ा वोट बैंक भी था.! जिसके दम पर बीजेपी काग्रेस को मात देती आ रही थी..यह वही क्षैत्र था जो काग्रेस के लिये हमेशा गड्ढा साबित हुवा करता था..! विक्रम शाह के लिये ये बहुत बड़ी चुनोति थी की वो भाजपा के इस वोट बैंक को कैसे तोड़कर काग्रेस के वोट बैंक में तब्दील करे.. हालांकि उप चुनाव में बहुत बड़ी राजनीति हस्तियां लगी थी.. मगर सबको इस बात पर भरोसा था की गीदम विकास खण्ड में अगर बीजेपी के बोट बैक को कोई सेंध लगा सकता है तो वो बीजापुर विधायक विक्रम शाह मंडावी ही है.. जो असम्भव को सम्भव में तब्दील करने की योग्यता रखते है.. इस लिये काग्रेस ने उन्हें गीदम विकास खण्ड का प्रभारी बनाकर जबाबदारी सौपी..राजनीति में पूरी तरह रम चुके विक्रम मंडावी ने पार्टी की द्वारा ही गई जबाबदारी को चुनोती समझकर मैदान में डट गये..अपने व्यक्तिगत व्यवहार तथा उनकी लोकप्रियता के चलते गीदम विकास खण्ड के अंतिम गांव के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचकर काग्रेस का जबरदस्त माहौल बनाया और रिकॉड तोड़ बोट दिलाकर एक बहुत बड़ा लक्ष्य भाजपा के सामने खड़ाकर दिया..जिसे छू पाना किसी के बस में नही था..विक्रम शाह मंडावी के द्वारा खड़े किये गये स्कोर के चलते भाजपा कही भी आगे नही बढ़ सकी.. क्योकि भाजपा को जिस क्षेत्र से बढ़त के साथ विजय होने का रास्ता मिलता था.. वहां विक्रम शाह ने बहुत बड़े स्पीड ब्रेकर जो खड़े कर दिये.. जिसके चलते भाजपा की सुपर फास्ट एक्सप्रेस की गति लोकल की रफ्तार भी नही पकड़ सकी..परिणाम यह हुवा की देवती कर्मा जी की इतिहासिक जीत हुई.. ओर युवा विधायक विक्रम शाह मंडावी की लोकप्रियता में भारी इजाफा होता चला गया.. अपने विधायक बनने के बाद अपने ही ग्रह जिला बीजापुर के नगरी निकायों के चुनाव में काग्रेस का परचम सभी जगह लहराया.. तो वही जिले की सभी जनपद पंचायतों में काग्रेस का कब्जा भी हुवा.. जिला पंचायत बीजापुर में काग्रेस का दबदबा फिर कायम हुवा..! अब हम बात करते है.. बीजापुर जिले से लगे दन्तेवाड़ा जिले की जहा काग्रेस कई जगह पर पिछड़ती हुई जरूर दिखी.. नगरी निकाय में तो जिला मुख्यालय दन्तेवाड़ा तथा प्राचीन नगरी बारसूर की नगरी निकाय को भाजपा ने काग्रेस से छीना.. तो गीदम बचेली बैलाडीला को काग्रेस ने बीजेपी से छीन लिया.! जनपद पंचायतो की बात करे तो जिले की 4 में 3 पर भाजपा ने कब्जा जमाया.. तो काग्रेस को 1 स्थान पर ही संतोष करना पड़ा.. जिला पंचायत दन्तेवाड़ा की 10 सदस्यों की पंचायत में भाजपा 5 काग्रेस 3 तथा 1 निर्दलीय व 1 सीपीआई ने अपना दबदबा बनाया.. जिला पंचायत के परिणामो के बाद कयास यह लगाया जा रहा था की जिला पंचायत पर भाजपा आसानी से अपना कब्जा बना लेगी..? जिला पंचायत दन्तेवाड़ा के परिणाम के बाद काग्रेस की नाजुक स्थिति को देखते हुवे काग्रेस पार्टी ने एक बार फिर ऐसी विषम परिस्थिति में विक्रम शाह मंडावी को दन्तेवाड़ा का चुनाव प्रभारी बनाकर भेजा.. यह उनके राजनीति परिपक्कता की बहुत बड़ी परीक्षा थी..जब काग्रेस के 3 सदस्यों वाली जिला पंचायत में काग्रेस की जिला सरकार बनानी थी..जहा उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी तूलिका कर्मा से मिलकर वह कमाल कर दिखाया जिसकी सम्भावना दूर दूर तक किसी को नही थी.राजनीति सूझबूझ ओर त्वरित निर्णय के साथ सीपीआई का समर्थन जुटाना आसान नही था..सबसे बडे आश्चर्य की बात यहा यह हुई की अध्यक्ष उपाध्यक्ष दोनो पद चुनाव प्रभारी ने काग्रेस की झोली में डाल दिया..क्रिर्केट के मैदान से राजनीति के मैदान तक धुँवाधार बल्लेबाजी ने विपक्ष की टीम को सोचने को मजबूर कर दिया की विक्रम शाह मंडावी के बल्ले से निकली गेंद केवल स्कोर खड़ा करने के लिये होती है...? जिसे लपकना विपक्ष के बूते के बहार है..विधायक विक्रम मंडावी के मिलनसार व्यक्तित्व के चलते वो लोंगो के दिलो को छू लेते है ओर यही वजह है की हर चुनोति पर उन्हें सफलता मिल रही है..!विक्रम मंडावी जी क्रिकेट के मैदान से राजनीति के मैदान तक के सफर में उनकी धुँवाधार बल्लेबाजी की मिशाल देखने को मिलती है..!उनकी काबिलियत ने उनकी लोकप्रियता को ओर अधिक निखारता प्रदान की..!जो उनके उज्ज्वल भविष्य के संकेत देते है..!
【 दिनेश शर्मा गीदम 】
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