बचेली में मनाया गया गणगोर पर्व
बचेली लौह नगरी में राजस्थानी समाज की महिलाओं द्वारा गणगोर पर्व मनाया गया ज्ञात हो कि गणगौर का पर्व चैत्र शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है, इसे गौरी तृतीया भी कहते हैं. होली के दूसरे दिन (चैत्र कृष्ण प्रतिपदा) से जो कुंवारी और विवाहित और नवविवाहित महिलाएं प्रतिदिन गणगोर पूजती हैं और चैत्र शुक्ल द्वितीया (सिंजारे) के दिन किसी नदी, तालाब या सरोवर पर जाकर अपनी पूजी हुई गणगौरों को पानी पिलाती हैं. इसके बाद दूसरे दिन शाम को उनका विसर्जन कर देती हैं. यह व्रत विवाहित महिलाएं पति का प्यार और स्नेह पाने के लिए एवं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करती हैं. इस व्रत को करने से कुवांरी लड़कियों को उत्तम पति मिलता है और सुहागिनों का सुहाग अखण्ड रहता है dm soni
बचेली लौह नगरी में राजस्थानी समाज की महिलाओं द्वारा गणगोर पर्व मनाया गया ज्ञात हो कि गणगौर का पर्व चैत्र शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है, इसे गौरी तृतीया भी कहते हैं. होली के दूसरे दिन (चैत्र कृष्ण प्रतिपदा) से जो कुंवारी और विवाहित और नवविवाहित महिलाएं प्रतिदिन गणगोर पूजती हैं और चैत्र शुक्ल द्वितीया (सिंजारे) के दिन किसी नदी, तालाब या सरोवर पर जाकर अपनी पूजी हुई गणगौरों को पानी पिलाती हैं. इसके बाद दूसरे दिन शाम को उनका विसर्जन कर देती हैं. यह व्रत विवाहित महिलाएं पति का प्यार और स्नेह पाने के लिए एवं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करती हैं. इस व्रत को करने से कुवांरी लड़कियों को उत्तम पति मिलता है और सुहागिनों का सुहाग अखण्ड रहता है dm soni
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