किरंदुल / दंतेवाड़ा आर्सेलर मित्तल निपान इंडिया द्वारा आदिवासियों की उपजाऊ भूमि को बंजर किये जाने पर कार्यवाही हेतु दंतेवाड़ा कलेक्टर से मिला मोर्चा,सौपा ज्ञापन।। dm soni bacheli

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किरंदुल / दंतेवाड़ा आर्सेलर मित्तल निपान इंडिया द्वारा आदिवासियों की उपजाऊ भूमि को बंजर किये जाने पर कार्यवाही हेतु दंतेवाड़ा कलेक्टर से मिला मोर्चा,सौपा ज्ञापन। 


कंपनी पर मोर्चा ने लगाए आरोप।

⭕कम्पनी खनिज परिवहन भंडारण नियम 2009 के नियम का कर रही है खुले रूप से उलंघन।

⭕पर्यावरण मंडल के नियमो को ताक में रख कम्पनी द्वारा किया जा रहा है। लोह अवशेष भंडारण।

⭕हजारों एकड़ जमीनों के बंजर होने व भूमिगत जल में रासायनिक मिश्रण से उतपन्न होगी अनेकों समस्या।

⭕पेशा कानून का उलंघन कर ,निजी भूमि में अवैध लौह अवशेष डालना कानूनी गलत ,प्रभावितो को मिले 50लाख मुवावजा।



बचेली/दंतेवाडा:- बस्तर अधिकार संयुक्त मुक्ति मोर्चा के द्वारा नवपदस्थ जिला कलेक्टर श्री दीपक सोनी को ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन के मुताबिक दक्षिण बस्तर के दन्तेवाड़ा जिले के किरन्दुल में स्थित आर्सल मित्तल निपान इंडिया कम्पनी द्वारा शासकीय भूमि आबंटित किये जाने के बावजूद शासन के आदेश की अवेहलना करते हुए विगत कई माह से कम्पनी द्वारा स्थानीय भोले भाले आदिवासियों की जमीनों में पेशा कानून व खनिज नियम एवं पर्यावरण नियमो की धज्जियां उड़ा कर लौह अवशेष का अवैध भंडारण किया जा रहा है। 



                   मोर्चा प्रवक्ता नवनीत चांद 

जो पूरी तरह से गैर कानूनी है, उस इलाके में हजारों एकड़ जमीनों को बंजर व भूमिगत जल को रासायनिक कर दिया गया है। जिससे आने वाले समय मे स्थानीय लोगो को बहुत बड़ी समस्याओ का सामना करना पड़ेगा जो कही ना कही किसी षडयंत्र की ओर इशारा करता है। आपको बता दे कि  कम्पनी को लौह अवशेष भंडारण के लिए अस्थाई तौर पर ग्राम पालनार में 4.033 हैक्टेयर जमीन शासन द्वारा आबंटित की गई थी। 



एवं अवशेष भंडारण के लिए मात्र 3 वर्ष की अनुमति दी गई थी ।जिस पर पर्यावरण मंडल व खनिज विभाग द्वारा अनापत्ति भी दी गई थी। 20-5-2005 के पर्यावरण संरक्षण मंडल रायपुर व जल प्रदूषण अधिनियम 1974 के तहत जारी कंसेंट टू आपरेट में अपशिष्ट या टेलिंग्स के सुरक्षित अपवाहन हेतु शर्त व नियम दिए गए है। नियम शर्त 11 व 12 के अनुसार इस प्लांट में उत्पादन प्रारम्भ होने के 10 महीने तक टेलिंग्स को कडमपाल डेम में डिस्चार्ज किया जाना व 11 वे महीने अगले दो वर्षों के लिए बचेली टेलिंग डेम में डाले जाने हेतु आदेश दिया था । 



                           सुजीत कर्मा 

परंतु कम्पनी ने नियमो की अनदेखी की यदि इन नियमो का पालन कंपनी द्वारा किया जाता तो आज हालत ऐसे नही होते। वही कम्पनी द्वारा छ.ग खनिज नियम 2009 के क्रमांक 2 के उपनियम 2 का खुला उल्लंघन किया गया है। साथ ही संशोधित नियम 4 के उपनियम 6 के जोड़े 7 का उलंघन भी है। कंपनी द्वारा जिन जगह में लौह अवशेष डंप किये गए है। नियम अनुसार जिला कलेक्टर से अनुमति नही ली गई है। वही  हाल ही में खनिज विभाग द्वारा कम्पनी को जारी 7 बिंदु के नोटिस का जवाब भी अब तक कंपनी द्वारा नही देना व दस्तावेज को जमा नही करना भी कम्पनी के कार्य को संदेह के घेरे में खड़ी करती है। 



वही बस्तर पांचवी अनुसूचित इलाका होने कारण पेशा कानून 1966 के तहत किसी भी कम्पनी को निजी व शासकीय भूमि कोई भी कार्य करने व अनुबंध हेतु शासन व ग्राम सभा की अनुमति की आवश्कता की जरूरत होती है,परंतु कम्पनी द्वारा इस कार्य मे न तो कोई अनुमति ली है और न ही कोई आवेदन दिया है। सीधे रूप से ठेकेदारो के साथ मिलकर निजी फायदे हेतु किसानों को गुमराह करके उनसे पत्र लिखवाया गया है जो पूरी तरह से अवैधानिक है। 



इन सब गतिविधियों को लेकर बस्तर अधिकार सयुक्त मुक्ति मोर्चा के द्वारा दस्तावेजों के सहित कलेक्टर दन्तेवाड़ा जिला को मिल कम्पनी के द्वारा किये गए अवैध भंडारण की जांच कर कार्यवाही हेतु ज्ञापन सौपा गया ,इस दौरान प्रमुख रूप से मोर्चा के स्थानीय जिला नेता सुजीत कर्मा, सुभाष यादव संभागीय सयोजक नवनीत चाँद,बोमड़ा मंडावी,भरत कश्यप,बेनी फर्नाडिश, आरिफ पवार,उपेंद्र बांदे,धर्मवीर गोयल,आदि सदस्य उपस्थित थे।


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