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बचेली - "अब तक 54"
इस शख्स ने 54 बार ये काम किया जिसे सुनकर चौंक जाओगे आप।
लौहनगरी बचेली अब तक "54" जी नही ये कोई फ़िल्म का टाइटल नही है। हां नानापटेकर की अब तक 56 फ़िल्म के टाइटल से मेल जरूर खाता है। चलिए मुद्दे पे आते है आपको बता दे कि बचेली के एनएमडीसी सीएसआर में कार्यरत देबाशीष पॉल अब तक 54 बार रक्तदान कर लोगो का जीवन बचा चुके है। ये हम सभी लौहनगरी वासियो के लिए गौरव की बात है कि हमारे बीच एक ऐसा शख्स है जो बिना किसी प्रचार प्रसार के अब तक 54 बार रक्तदान कर कई लोगो के प्राण बचा चुका है।
देबाशीष पॉल
इस शख्स की उम्र भी 55 वर्ष है। इतनी बार रक्तदान करने के पश्चात फिटनेस जस की तस कुछ दोस्त तो इनका मजाक भी उड़ाते है कि इस उम्र में भी देबाशीष पॉल 30 की उम्र के लोगो को टक्कर देते है। इनके पुत्र साईराज पॉल भी पिता के इस नेक कार्य से प्रभावित होकर कई बार रक्तदान कर चुके है। आपको बता दे हाल ही में देबाशीष पॉल को रक्तवीर भामाशाह उपाधि से सम्मानित किया गया है जो लौहनगरी वासियो के लिए गौरवपूर्ण विषय है।
आइये इस शख्स के बारे में जानते है।
प्रश्न - आप ने पहली बार कब रक्त दान किया था ?
देबाशीष - मैंने पहली बार रक्तदान 8 वीं कक्षा में पढ़ाई के दौरान दिया था।
प्रश्न - किससे प्रेरित होकर आपने रक्तदान किया था ?
देबाशीष - उस वक्त के डॉक्टर ब्रम्हा एवं डाक्टर कामरा रक्तदान हेतु युवाओ को प्रेरित किया करते थे। उस वक्त के साथी विक्रम को रक्तदान करता देख मेरे मन मे भी रक्तदान की इक्षा जागी थी।
प्रश्न - पहली बार रक्तदान के दौरान आपका अनुभव कैसा रहा ?
देबाशीष - पहले-पहल डर लग रहा था, लेकिन यह प्रक्रिया इतनी सहज थी कि सारा डर दूर हो गया। बस इसके बाद से रक्तदान का जो क्रम शुरू हुआ, वह आज तक चल रहा है।
प्रश्न - कोई यादगार किस्सा ?
देबाशीष - एक बार का किस्सा है जब मैं हैदराबाद किसी कार्य से परिवार के साथ गया हुआ था तो मेरे परिचित भट्टाचार्य जी अस्पताल में भर्ती थे उन्हें ओ पाजिटिव रक्त की आवश्यकता थी अनजान शहर में उन्हें परेशानी उठानी पड़ रही थी ब्लड बैंक में ब्लड था परंतु बदले में ब्लड देना पड़ता था। तब मैंने अपना रक्त ए पाजिटिव बदले में देकर उनकी सहायता की थी।
प्रश्न - युवाओ को क्या सन्देश देना चाहते है ?
देबाशीष - यही की इंसान ही इंसान के काम आता है। हम आर्थिक रूप से भले ही किसी की सहायता नही कर सकते परंतु ईश्वर के दिये हुए अनमोल उपहार से किसी पीड़ित की मदद कर सकते है। सभी को रक्तदान अवश्य करना चाहिए एवं दुसरो को रक्तदान हेतु प्रेरित भी करना चाहिए।
प्रश्न - आपको फिटनेस का राज ?
देबाशीष - अच्छी हेल्दी डाइट,जंक फूड से परहेज,एक तनावरहित जीवन शैली एवं किसी भी प्रकार के नशे से परहेज। आजकल की युवा पीढ़ी नशे के मकड़जाल में फसती जा रही है। नशे की में आकर युवा अपने शरीर को नष्ट कर रहे है। तनाव की चरम में पंहुच चुके ऐसे युवाओ को इस नशे से बचकर लोगो की किसी ना किसी रूप में मदद करनी चाहिए उससे एक मकसद भी मिलेगा जिससे जीवन जीने में आसानी होगी।
ब्लड डोनेशन के फायदे
ब्लड डोनेशन से नए ब्लड सेल्स तेजी से बनते हैं और चेहरे पर निखार आता है। लोगों के छोटे से प्रयास से किसी जरूरतमंद का जीवन बच सकता है। यह संतुष्टि जीवन में खुशियों का संचार करती है। डोनेट ब्लड दुर्घटनाग्रस्त मरीज, थैलेसीमिया, गर्भवती महिला और गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों का जीवन बचाने में सहायक होता है।
बचेली - "अब तक 54"
इस शख्स ने 54 बार ये काम किया जिसे सुनकर चौंक जाओगे आप।
लौहनगरी बचेली अब तक "54" जी नही ये कोई फ़िल्म का टाइटल नही है। हां नानापटेकर की अब तक 56 फ़िल्म के टाइटल से मेल जरूर खाता है। चलिए मुद्दे पे आते है आपको बता दे कि बचेली के एनएमडीसी सीएसआर में कार्यरत देबाशीष पॉल अब तक 54 बार रक्तदान कर लोगो का जीवन बचा चुके है। ये हम सभी लौहनगरी वासियो के लिए गौरव की बात है कि हमारे बीच एक ऐसा शख्स है जो बिना किसी प्रचार प्रसार के अब तक 54 बार रक्तदान कर कई लोगो के प्राण बचा चुका है।
देबाशीष पॉल
इस शख्स की उम्र भी 55 वर्ष है। इतनी बार रक्तदान करने के पश्चात फिटनेस जस की तस कुछ दोस्त तो इनका मजाक भी उड़ाते है कि इस उम्र में भी देबाशीष पॉल 30 की उम्र के लोगो को टक्कर देते है। इनके पुत्र साईराज पॉल भी पिता के इस नेक कार्य से प्रभावित होकर कई बार रक्तदान कर चुके है। आपको बता दे हाल ही में देबाशीष पॉल को रक्तवीर भामाशाह उपाधि से सम्मानित किया गया है जो लौहनगरी वासियो के लिए गौरवपूर्ण विषय है।
आइये इस शख्स के बारे में जानते है।
प्रश्न - आप ने पहली बार कब रक्त दान किया था ?
देबाशीष - मैंने पहली बार रक्तदान 8 वीं कक्षा में पढ़ाई के दौरान दिया था।
प्रश्न - किससे प्रेरित होकर आपने रक्तदान किया था ?
देबाशीष - उस वक्त के डॉक्टर ब्रम्हा एवं डाक्टर कामरा रक्तदान हेतु युवाओ को प्रेरित किया करते थे। उस वक्त के साथी विक्रम को रक्तदान करता देख मेरे मन मे भी रक्तदान की इक्षा जागी थी।
प्रश्न - पहली बार रक्तदान के दौरान आपका अनुभव कैसा रहा ?
देबाशीष - पहले-पहल डर लग रहा था, लेकिन यह प्रक्रिया इतनी सहज थी कि सारा डर दूर हो गया। बस इसके बाद से रक्तदान का जो क्रम शुरू हुआ, वह आज तक चल रहा है।
प्रश्न - कोई यादगार किस्सा ?
देबाशीष - एक बार का किस्सा है जब मैं हैदराबाद किसी कार्य से परिवार के साथ गया हुआ था तो मेरे परिचित भट्टाचार्य जी अस्पताल में भर्ती थे उन्हें ओ पाजिटिव रक्त की आवश्यकता थी अनजान शहर में उन्हें परेशानी उठानी पड़ रही थी ब्लड बैंक में ब्लड था परंतु बदले में ब्लड देना पड़ता था। तब मैंने अपना रक्त ए पाजिटिव बदले में देकर उनकी सहायता की थी।
प्रश्न - युवाओ को क्या सन्देश देना चाहते है ?
देबाशीष - यही की इंसान ही इंसान के काम आता है। हम आर्थिक रूप से भले ही किसी की सहायता नही कर सकते परंतु ईश्वर के दिये हुए अनमोल उपहार से किसी पीड़ित की मदद कर सकते है। सभी को रक्तदान अवश्य करना चाहिए एवं दुसरो को रक्तदान हेतु प्रेरित भी करना चाहिए।
प्रश्न - आपको फिटनेस का राज ?
देबाशीष - अच्छी हेल्दी डाइट,जंक फूड से परहेज,एक तनावरहित जीवन शैली एवं किसी भी प्रकार के नशे से परहेज। आजकल की युवा पीढ़ी नशे के मकड़जाल में फसती जा रही है। नशे की में आकर युवा अपने शरीर को नष्ट कर रहे है। तनाव की चरम में पंहुच चुके ऐसे युवाओ को इस नशे से बचकर लोगो की किसी ना किसी रूप में मदद करनी चाहिए उससे एक मकसद भी मिलेगा जिससे जीवन जीने में आसानी होगी।
ब्लड डोनेशन के फायदे
ब्लड डोनेशन से नए ब्लड सेल्स तेजी से बनते हैं और चेहरे पर निखार आता है। लोगों के छोटे से प्रयास से किसी जरूरतमंद का जीवन बच सकता है। यह संतुष्टि जीवन में खुशियों का संचार करती है। डोनेट ब्लड दुर्घटनाग्रस्त मरीज, थैलेसीमिया, गर्भवती महिला और गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों का जीवन बचाने में सहायक होता है।
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