बचेली - अडानी ग्रुप को 13 नं खदान दिए जाने से श्रमिक संगठन एवं स्थानीय लोगो को आक्रोश । dm सोनी संवाददाता बचेली ।
बचेली डिपाजिट 13 खदान को अडानी ग्रुप को दिए जाने का विरोध दिन ब दिन बढ़ता ही जा रहा है। आज दोनों मजदूर संगठन सन्युक्त खदान मजदूर ( एस के एम एस ) संघ एवं एम एम डब्लू यू ( इंटक ) ने इसी कड़ी में एक संयुक्त बैठक का आयोजन किया था। जिसमे सभी ने एक सुर में कहा कि डिपाजिट 13 नं की खदान किसी भी कीमत में अडानी ग्रुप को लेने नही दिया जाएगा।इस निजीकरण को किसी भी कीमत पे बर्दाश्त नही किया जाएगा संगठन का कहना है कि अगर निजीकरण की एक भी प्रकिया होती है तो सारे एनएमडीसी क्षेत्र के लिए ये एक खतरे का सिग्नल ही होगा और पूरे एनएमडीसी को बिकने से रोक पाना मुश्किल होगा। इस लिए दोनों संगठन के लोगो ने इस निजीकरण के विरोध में लामबंध हो गए है संगठन के अलावा पूरे क्षेत्र के ग्रामीण भी आक्रोशित है इस बात का उदाहरण पिछले दिनों देखा जा चुका है जिसमे स्वस्फूर्त 20 हजार लोगों जमा होना एवं हॉकी ग्राउंड सभा में मंच के माध्यम से सर्व आदिवासी समाजके पदाधिकारियों द्वारा साफ साफ डिपाजिट 13 नं खदान को अडानी ग्रुप को दिए जाने से नाराजगी जाहिर की थी जिस समय से इस खदान को अडानी ग्रुप को दिए जाने की प्रक्रिया सामने आई तभी से एसकेएमएस मजदूर संगठन ने विरोध किया था। लोगो की माने तो फर्जी ग्राम सभा का आयोजन कर एनएमडीसी ने डिपाजिट 13 खदान को अडानी ग्रुप को दिया है। आपको बता दे कि डिपाजिट 13 नंबर की खदान को संयुक्त रूप से संचालित करने के लिए। एनएमडीसी एवं छत्तीसगढ़ मिनरल डेवलपमेंट कारपोरेशन छत्तीसगढ़ शासन के साथ 1 जुलाई 2006 को जॉइंट वेंचर एमओयू हुआ था। जिसके बाद ओपन टेंडर प्रकिया से लौह अयस्क उत्खनन का 25 वर्ष का कार्यादेश अडानी ग्रुप को दिया गया था। ग्रामीणों एवं दोनों मजदूर संगठनों का कहना है कि यदि अडानी ग्रुप से खदान वापस नही ली गयी तो उग्र आन्दोलन होगा। जिस तरह से निप्पोन डेनरो कंपनी को भगाया गया उसी तर्ज पर अडानी ग्रुप को भी खदेड़ा जाएगा।
बचेली डिपाजिट 13 खदान को अडानी ग्रुप को दिए जाने का विरोध दिन ब दिन बढ़ता ही जा रहा है। आज दोनों मजदूर संगठन सन्युक्त खदान मजदूर ( एस के एम एस ) संघ एवं एम एम डब्लू यू ( इंटक ) ने इसी कड़ी में एक संयुक्त बैठक का आयोजन किया था। जिसमे सभी ने एक सुर में कहा कि डिपाजिट 13 नं की खदान किसी भी कीमत में अडानी ग्रुप को लेने नही दिया जाएगा।इस निजीकरण को किसी भी कीमत पे बर्दाश्त नही किया जाएगा संगठन का कहना है कि अगर निजीकरण की एक भी प्रकिया होती है तो सारे एनएमडीसी क्षेत्र के लिए ये एक खतरे का सिग्नल ही होगा और पूरे एनएमडीसी को बिकने से रोक पाना मुश्किल होगा। इस लिए दोनों संगठन के लोगो ने इस निजीकरण के विरोध में लामबंध हो गए है संगठन के अलावा पूरे क्षेत्र के ग्रामीण भी आक्रोशित है इस बात का उदाहरण पिछले दिनों देखा जा चुका है जिसमे स्वस्फूर्त 20 हजार लोगों जमा होना एवं हॉकी ग्राउंड सभा में मंच के माध्यम से सर्व आदिवासी समाजके पदाधिकारियों द्वारा साफ साफ डिपाजिट 13 नं खदान को अडानी ग्रुप को दिए जाने से नाराजगी जाहिर की थी जिस समय से इस खदान को अडानी ग्रुप को दिए जाने की प्रक्रिया सामने आई तभी से एसकेएमएस मजदूर संगठन ने विरोध किया था। लोगो की माने तो फर्जी ग्राम सभा का आयोजन कर एनएमडीसी ने डिपाजिट 13 खदान को अडानी ग्रुप को दिया है। आपको बता दे कि डिपाजिट 13 नंबर की खदान को संयुक्त रूप से संचालित करने के लिए। एनएमडीसी एवं छत्तीसगढ़ मिनरल डेवलपमेंट कारपोरेशन छत्तीसगढ़ शासन के साथ 1 जुलाई 2006 को जॉइंट वेंचर एमओयू हुआ था। जिसके बाद ओपन टेंडर प्रकिया से लौह अयस्क उत्खनन का 25 वर्ष का कार्यादेश अडानी ग्रुप को दिया गया था। ग्रामीणों एवं दोनों मजदूर संगठनों का कहना है कि यदि अडानी ग्रुप से खदान वापस नही ली गयी तो उग्र आन्दोलन होगा। जिस तरह से निप्पोन डेनरो कंपनी को भगाया गया उसी तर्ज पर अडानी ग्रुप को भी खदेड़ा जाएगा।
0 Comments