दंतेवाड़ा :- विश्व ओजोन दिवस पर वर्चुअल सेमिनार आयोजित।

Nishpaksh media Junction bacheli "खबर वही जो हो सही" dm soni bacheli


दंतेवाड़ा :- विश्व ओजोन दिवस पर वर्चुअल सेमिनार आयोजित। 


स्कूली बच्चों ने ओजोन के बारे में दी जानकारी एवं पर्यावरण के लिए पराबैगनी किरणों के हानिकारक प्रभावों से कराया अवगत। 




 
दन्तेवाड़ा, 17 सितम्बर 2020। समताप मंडल में स्थित ओजोन परत समस्त भूमण्डल के लिए एक सुरक्षा कवच का काम करती है। यह सूर्य की हानिकारक बैंगनी किरणों को ऊपरी वायुमण्डल में ही रोक लेती है, उन्हें पृथ्वी की सतह तक नहीं पहुंचने देती। पराबैंगनी विकिरण मनुष्य, जीव जंतुओं और वनस्पतियों के लिए अत्यंत हानिकारक है। ये सेमिनार मे उन बच्चो के कथन है जो चित्रकला, निबंध के साथ ओजोन परत संरक्षण पर विभिन्न जिलो के बच्चे भाग लिए हुए थे। विश्व ओजोन दिवस के अवसर पर वाणी मशीह व्याख्याता शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बारसुर के द्वारा गूगल मीट एप्प के माध्यम से ऑनलाइन सेमिनार के माध्यम से निबंध और चित्रकला का आयोजन किया गया था। इस सेमिनार मे सभी बच्चो ने ओजोन परत के बारे मे अपने उद्बोधन मे कहा कि विश्व ओजोन दिवस हर साल पूरी दुनिया में 16 सितंबर को मनाया जाता है। ओजोन परत ओजोन अणुओं की एक परत है जो 20 से 40 किलोमीटर के बीच के वायुमंडल में पाई जाती है। ओजोन परत पृथ्वी को सूर्य की हानिकारक अल्ट्रावाइलट किरणों से बचाने का काम करती है। अल्ट्रा वाइलट किरणें अगर सीधा धरती पर पहुंच जाए तो ये मनुष्य, पेड़-पौधों और जानवरों के लिए भी बेहद खतरनाक हो सकती है। ऐसे में ओजोन परत का संरक्षण बेहद महत्वपूर्ण है। इससे स्किन कैंसर होता है। अल्ट्रावायलेट किरणों से त्वचा जल जाती है। अल्ट्रावायलेट विकिरण के संपर्क में आने से इम्यून सिस्टम पर असर पड़ता है। अल्ट्रावायलेट किरणों के लंबे समय तक संपर्क में रहने से आंखों के ऊतकों को नुकसान पहुंचता है अल्ट्रावायलेट किरणें त्वचा की उम्र बढ़ने को भी तेज करती हैं। रंग, भोजन, कपड़े, प्लास्टिक, पेंट, स्याही, रंगों आदि के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले रंग जैसे कई पिगमेंट अल्ट्रावायलेट को अवशोषित करते हैं और रंग बदलते हैं। वाहनों से निकलने वाला धुआँ बहुत हानिकारक होता है। वाहनों के उपयोग को कम करना चाहिए, कीटनाशकों की जगह प्राकृतिक तरीकों का प्रयोग करके इस नुकसान से बचा जा सकता है। जितना ज्यादा हो सके वनों की कटाई को कम करना चाहिए और ज्यादा से ज्यादा वृक्षों को लगाने का प्रयास करना चाहिए। स्टायरोफोम के बर्तनों की जगह मिट्टी के कुल्हड़ों, पत्तलों, धातु या कांच के बर्तनों का प्रयोग करें। वहीं, पारंपरिक रुई के गद्दों एवं तकियों का प्रयोग करें, ताकि ओजोन परत सुरक्षित रहे। ओजोन दिवस पर आयोजित सेमिनार मे बलोदाबाजार कि शिक्षिका सुजाता बहल, कांकेर कि शिक्षिका मल्टी सेन के साथ हिमांशी रात्रे रायपुर, नम्रता साहू राजनांदगाव, राजेश नाग, खुशी, तेजस्विनी, गीतांजली दंतेवाड़ा, देविका, खिलेश्वर साहू बेमेतरा, चित्ररेखा बलोदाबाजार, कुसुम, निशु, आस्था, बेमेतरा, दामिनी कांकेर, नन्द, भविका रायपुर से जुड़कर निबंध, चित्रकला, और सेमिनार मे भाग लिए। वाणी के द्वारा इन्हे ऑनलाइन प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जा रहा है। इस सेमिनार मे समग्र शिक्षा के सहायक परियोजना समन्वयक ढलेश आर्य ने बच्चो को प्रेरित किया और उन्हे शुभकामनायें प्रेषित किया। जिला शिक्षा अधिकारी राजेश कर्मा, जिला मिशन समन्वयक एस एल शोरी, ने इनके कार्य की सराहना किए है।

Post a Comment

0 Comments