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दंतेवाडा - जिला अस्पताल में मरीजो के जीवन से किया जा रहा खिलवाड़।
जिले में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के दावों की पोल खोलती ये रिपोर्ट।
अस्पताल में 4 घण्टे की डायलिसिस की जगह ढाई घण्टे कर जान जोखिम में डाली जा रही किडनी रोगियों की।
बचेली/दंतेवाड़ा एक तरफ कोरोना संक्रमण के लिए सभी विभाग के लोग दिन रात कार्य पर लगे हुए है। वही जिला अस्पताल दंतेवाड़ा में मरीजो की जान से खिलवाड़ किये जाने का मामला सामने आया है। जब डायलिसिस की मशीन जिला अस्पताल में आई तब गुर्दा रोग से पीड़ित मरीजो के लिए ये मशीन किसी वरदान से कम नही थी गुर्दा रोगियों को इसके लिए 100 किलोमीटर जगदलपुर जाना पड़ता था जिससे आने जाने हेतु जो अतिरिक्त खर्च होता था वो इन रोगियों की कमर तोड़ रहा था। नई मशीन के आते ही अधिकारियों ने भी अपनी पीठ थपथपाने में कोई कसर नही छोड़ी थी। परंतु पिछले एक सप्ताह से ये वरदान किडनी मरीजो के लिए अभिशाप बनता हुआ नजर आ रहा है। दअरसल पिछले 1 सप्ताह से जिला अस्पताल में अस्पताल प्रबंधन द्वारा मरीजो की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है।
मरीजो के मुताबिक 4 घण्टो की डायलिसिस सिर्फ ढाई घण्टो में पूरी करके उन्हें वापस भेजा जा रहा है। कारण पूछे जाने पर बताया गया कि अस्पताल में डॉक्टरों की कमी है जिसकी वजह से दूसरी पाली में डायलिसिस बंद है। इसी वजह से मरीजो की 4 की बजाय ढाई घण्टे ही डायलिसिस की जाएगी। आपको बता दे कि जिले में आस पास के क्षेत्रों से किडनी रोगी भारी परेशानी उठाकर वाहनों के माध्यम से जिला अस्पताल डायलिसिस हेतु आते है जिसमे कई परिवार आर्थिक रूप से सक्षम नही है। डायलिसिस का शुल्क 1500 रुपये है जो कि कही ना कही सेवा भावना जैसे दावों की पोल खोलता है। इतना ही नही ढाई घण्टो की डायलीसिस में भी मरीजो से 1500 रुपये शुल्क लिया गया है।
दंतेवाडा - जिला अस्पताल में मरीजो के जीवन से किया जा रहा खिलवाड़।
जिले में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के दावों की पोल खोलती ये रिपोर्ट।
अस्पताल में 4 घण्टे की डायलिसिस की जगह ढाई घण्टे कर जान जोखिम में डाली जा रही किडनी रोगियों की।
बचेली/दंतेवाड़ा एक तरफ कोरोना संक्रमण के लिए सभी विभाग के लोग दिन रात कार्य पर लगे हुए है। वही जिला अस्पताल दंतेवाड़ा में मरीजो की जान से खिलवाड़ किये जाने का मामला सामने आया है। जब डायलिसिस की मशीन जिला अस्पताल में आई तब गुर्दा रोग से पीड़ित मरीजो के लिए ये मशीन किसी वरदान से कम नही थी गुर्दा रोगियों को इसके लिए 100 किलोमीटर जगदलपुर जाना पड़ता था जिससे आने जाने हेतु जो अतिरिक्त खर्च होता था वो इन रोगियों की कमर तोड़ रहा था। नई मशीन के आते ही अधिकारियों ने भी अपनी पीठ थपथपाने में कोई कसर नही छोड़ी थी। परंतु पिछले एक सप्ताह से ये वरदान किडनी मरीजो के लिए अभिशाप बनता हुआ नजर आ रहा है। दअरसल पिछले 1 सप्ताह से जिला अस्पताल में अस्पताल प्रबंधन द्वारा मरीजो की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है।
मरीजो के मुताबिक 4 घण्टो की डायलिसिस सिर्फ ढाई घण्टो में पूरी करके उन्हें वापस भेजा जा रहा है। कारण पूछे जाने पर बताया गया कि अस्पताल में डॉक्टरों की कमी है जिसकी वजह से दूसरी पाली में डायलिसिस बंद है। इसी वजह से मरीजो की 4 की बजाय ढाई घण्टे ही डायलिसिस की जाएगी। आपको बता दे कि जिले में आस पास के क्षेत्रों से किडनी रोगी भारी परेशानी उठाकर वाहनों के माध्यम से जिला अस्पताल डायलिसिस हेतु आते है जिसमे कई परिवार आर्थिक रूप से सक्षम नही है। डायलिसिस का शुल्क 1500 रुपये है जो कि कही ना कही सेवा भावना जैसे दावों की पोल खोलता है। इतना ही नही ढाई घण्टो की डायलीसिस में भी मरीजो से 1500 रुपये शुल्क लिया गया है।
वही जब डायलिसिस टेक्नीशियन से बात की गई तो उन्होंने भी डाक्टरो की कमी की बात कही है। एवं ढाई से तीन घंटे ही डाइलिसिस किये जाने की बात कही। अब चिंताजनक बात है की हम कोविड 19 जैसे संक्रमण के लिए दिन रात लगे हुए है। परंतु जिंदगी से रोज जद्दोजहद करने वाले इन किडनी मरीजो की चिंता अस्पताल प्रबंधन को बिल्कुल नही है।
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