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क्या लौहनगरी में हो चुका है कोरोना का विस्फोट ?
बचेली - लौहनगरी में अब तक 3 लोग कोरोना पाजिटिव आये है। जिसमे से तीनों के तीनों सीआईएसएफ के जवान है। सबसे पहला पाजिटिव एएसआई 25 जून को पाया गया था जिसके बाद उन्हें जगदलपुर डिमरापाल शिफ्ट किया गया। आज जिन 2 जवानों की रिपोर्ट पाजिटिव आयी है। उनमें से एक 32 वर्षीय एवं एक 23 वर्षीय जवान है ,32 वर्षीय जवान झारखंड से बचेली रायगढ़ होते हुए 7 जून को आया था वही 23 वर्षीय जवान बिहार से 7 जून को बचेली आया था दोनो जवानों को एक ही बैरक में 14 दिनों तक यानी 21 तारीख तक कोरिन टाइन किया गया था इन जवानों का पहला सेम्पल 14 जून को भेजा गया जिसकी जांच रिपोर्ट 19 जून को आई जो कि निगेटिव थी। 21 जून को दोनो जवानों को कोरिन टाइन से छुट्टी दे दी गयी थी जिसके बाद सूत्रों के मुताबिक दोनो जवान ड्यूटी पर भी गए थे। ठीक 2 दिन बाद यानी 23 जून को दोनो जवानों को तेज बुखार एवं सरदर्द की शिकायत हुई तत्काल ही जवानों को अपोलो अस्पताल के कोविड 19 वार्ड में 23 जून को भर्ती किया गया।
जिसके पश्चात दोनो का दूसरा सेम्पल 25 जून को भेजा गया जिसकी रिपोर्ट आज यानी 29 जून को पाजिटिव आयी है। आपको बता दे कि आईसुलेशन वार्ड में कुल 5 जवानों को भर्ती किया गया था जिसमे से 2 लोगो की रिपोर्ट आज पाजिटिव आयी है वही 3 भर्ती जवानों की रिपोर्ट आना बाकी है। इन सब के बीच सबसे चौकाने वाली बात है कि जब जवानों की रिपोर्ट पहले निगेटिव आयी थी तो सीआईएसएफ बैरक जाने के 2 दिनों बाद जवानों में बुखार एवं सर दर्द के लक्षण उभर कर आये जो कही ना कही बैरक में संक्रमित होने की तरफ इशारा कर रहे है। कोरिन टाइन से निकलने के 2 दिनों तक जवानों की गतिविधियों की सीआईएसएफ अधिकारी सही जानकारी देने से बच रहे है। पहला पाजिटिव 55 वर्षीय एएसआई की कहानी की परते धीरे धीरे खुलने लग गयी है। पहले पूछताछ के दौरान सीआईएसएफ के अधिकारी ने बताया गया था कि उन्हें कोई प्रारंभिक लक्षण नही थे एवं उन्होंने बताया था कि वो कही बाहर घूमने नही गए थे परंतु बाद में जवान ने स्वयं पुष्टि की थी कि वो मेडिकल एवं पान की दुकान में गया था जिसके बाद कुल सम्पर्क में आये 40 लोगो को कोरिन टाइन करना पड़ा। इस बीच अपोलो अस्पताल प्रबंधन की घोर लापरवाही उजागर हुई है। सूत्रों के मुताबिक 20 जून को एएसआई को 104 डिग्री बुखार हुआ था वो अपोलो अस्पताल अपना इलाज करवाने गए थे एवं उनका मलेरिया का सेम्पल भी बिना किसी सुरक्षा किट के 2 लेब टेक्नीशियन ने सेम्पल लिए थे।
जो कि घोर लापरवाही उजागर करती है। इसके अलावा अगले दिन एएसआई का कोविड आरटी पीसीआर सेम्पल लिया गया था जिसमे 2 लोग थे सूत्रों के मुताबिक 1 ने ही पी.पी.ई किट पहना था जिसने कंटेनर में सेम्पल डाला उसने किट नही पहनी थी। इस प्रकार की लापरवाही का खामियाजा अब कितने लोगों को भुगतना होगा ये तो वक्त रहते पता लग ही जायेगा। मलेरिया का सेम्पल लेने वाले लोगो ने अन्य कितने लोगों के सेम्पल लिए होंगे ये बेहद ही चिंताजनक विषय है। अपोलो अस्पताल प्रबंधन इन सब को लेकर कितना गम्भीर है ये कह पाना बेहद मुश्किल है। अपोलो अस्पताल प्रबंधन से फोन पर जब भी जानकारी मांगी गई वो मीटिंग में बिजी रहे। सीआईएसएफ अधिकारी भी सही सही जानकारी नही दे पा रहे है। कही कोरोना का उद्गम स्थल सीआईएसएफ बैरक तो नही ?
क्या लौहनगरी में हो चुका है कोरोना का विस्फोट ?
अब तक सीआईएसएफ के 3 जवानों की रिपोर्ट आ चुकी है पाजिटिव।
बचेली - लौहनगरी में अब तक 3 लोग कोरोना पाजिटिव आये है। जिसमे से तीनों के तीनों सीआईएसएफ के जवान है। सबसे पहला पाजिटिव एएसआई 25 जून को पाया गया था जिसके बाद उन्हें जगदलपुर डिमरापाल शिफ्ट किया गया। आज जिन 2 जवानों की रिपोर्ट पाजिटिव आयी है। उनमें से एक 32 वर्षीय एवं एक 23 वर्षीय जवान है ,32 वर्षीय जवान झारखंड से बचेली रायगढ़ होते हुए 7 जून को आया था वही 23 वर्षीय जवान बिहार से 7 जून को बचेली आया था दोनो जवानों को एक ही बैरक में 14 दिनों तक यानी 21 तारीख तक कोरिन टाइन किया गया था इन जवानों का पहला सेम्पल 14 जून को भेजा गया जिसकी जांच रिपोर्ट 19 जून को आई जो कि निगेटिव थी। 21 जून को दोनो जवानों को कोरिन टाइन से छुट्टी दे दी गयी थी जिसके बाद सूत्रों के मुताबिक दोनो जवान ड्यूटी पर भी गए थे। ठीक 2 दिन बाद यानी 23 जून को दोनो जवानों को तेज बुखार एवं सरदर्द की शिकायत हुई तत्काल ही जवानों को अपोलो अस्पताल के कोविड 19 वार्ड में 23 जून को भर्ती किया गया।
जिसके पश्चात दोनो का दूसरा सेम्पल 25 जून को भेजा गया जिसकी रिपोर्ट आज यानी 29 जून को पाजिटिव आयी है। आपको बता दे कि आईसुलेशन वार्ड में कुल 5 जवानों को भर्ती किया गया था जिसमे से 2 लोगो की रिपोर्ट आज पाजिटिव आयी है वही 3 भर्ती जवानों की रिपोर्ट आना बाकी है। इन सब के बीच सबसे चौकाने वाली बात है कि जब जवानों की रिपोर्ट पहले निगेटिव आयी थी तो सीआईएसएफ बैरक जाने के 2 दिनों बाद जवानों में बुखार एवं सर दर्द के लक्षण उभर कर आये जो कही ना कही बैरक में संक्रमित होने की तरफ इशारा कर रहे है। कोरिन टाइन से निकलने के 2 दिनों तक जवानों की गतिविधियों की सीआईएसएफ अधिकारी सही जानकारी देने से बच रहे है। पहला पाजिटिव 55 वर्षीय एएसआई की कहानी की परते धीरे धीरे खुलने लग गयी है। पहले पूछताछ के दौरान सीआईएसएफ के अधिकारी ने बताया गया था कि उन्हें कोई प्रारंभिक लक्षण नही थे एवं उन्होंने बताया था कि वो कही बाहर घूमने नही गए थे परंतु बाद में जवान ने स्वयं पुष्टि की थी कि वो मेडिकल एवं पान की दुकान में गया था जिसके बाद कुल सम्पर्क में आये 40 लोगो को कोरिन टाइन करना पड़ा। इस बीच अपोलो अस्पताल प्रबंधन की घोर लापरवाही उजागर हुई है। सूत्रों के मुताबिक 20 जून को एएसआई को 104 डिग्री बुखार हुआ था वो अपोलो अस्पताल अपना इलाज करवाने गए थे एवं उनका मलेरिया का सेम्पल भी बिना किसी सुरक्षा किट के 2 लेब टेक्नीशियन ने सेम्पल लिए थे।
जो कि घोर लापरवाही उजागर करती है। इसके अलावा अगले दिन एएसआई का कोविड आरटी पीसीआर सेम्पल लिया गया था जिसमे 2 लोग थे सूत्रों के मुताबिक 1 ने ही पी.पी.ई किट पहना था जिसने कंटेनर में सेम्पल डाला उसने किट नही पहनी थी। इस प्रकार की लापरवाही का खामियाजा अब कितने लोगों को भुगतना होगा ये तो वक्त रहते पता लग ही जायेगा। मलेरिया का सेम्पल लेने वाले लोगो ने अन्य कितने लोगों के सेम्पल लिए होंगे ये बेहद ही चिंताजनक विषय है। अपोलो अस्पताल प्रबंधन इन सब को लेकर कितना गम्भीर है ये कह पाना बेहद मुश्किल है। अपोलो अस्पताल प्रबंधन से फोन पर जब भी जानकारी मांगी गई वो मीटिंग में बिजी रहे। सीआईएसएफ अधिकारी भी सही सही जानकारी नही दे पा रहे है। कही कोरोना का उद्गम स्थल सीआईएसएफ बैरक तो नही ?
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