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बचेली - सालो से पशु चिकित्सक का पद है रिक्त इलाज के अभाव में लगातार दम तोड़ रहे पालतू पशु।
पशु पालकों एवं किसानों ने पशु विभाग को दिया ज्ञापन
विभागीय लापरवाही के चलते पशुओं को न समय पर उपचार मिल रहा है न किसानों को शासन की महत्वपूर्ण योजना के तहत कृतिम गर्भ धारण की सुविधा..
पशु चिकित्सालय में नही है पर्याप्त दवाइयां
बचेली लौह नगरी में सालो से पशु चिकित्सक का पद खाली पड़ा हुआ है। जिसके चलते आये दिन दुधारू पशुओ की मौत से पशु पालकों को हजारो का नुकसान उठाना पड़ रहा है।किसानों की आर्थिक मजबूती मे पशु पालन का काफी महत्व होता है। एक किसान के लिए पशु पालन जीवन यापन का अहम साधन है. पशु विभाग की उदासीनता के चलते बीमार पशुओं को समय पर उपचार नही मिलने के कारण दुधारू पशु आये दिन दम तोड़ने की घटना सामने आ रही है रही है। पालतू पशुओं के मालिक भी पशु चिकित्सक के नही होने से बेहद परेशान है। आक्रोशित होकर बचेली तथा भांसी के पशु पालक किसानों ने एक आवेदन उप संचालक दन्तेवाड़ा को देते हुवे मंत्री पशु पालन विभाग छतीसगढ़ शासन रायपुर को भेजने के साथ ही कलेक्टर दन्तेवाड़ा को प्रतिलिपि देते हुवे किसानों ने अपनी पीड़ा व्यक्त की। किसानों ने कहा है की उनके साथ पशु विभाग Bके अधिकारियों का यही व्यवहार रहा तो वो राजधानी कूच करेगे ओर मुख्यमंत्री सहित विभागीय मंत्री को सारी वस्तु स्थिति से अवगत कराते हुवे अपनी बात रखेंगे । जिला प्रशासन को सोपे आवेदन में बचेली के 20 पशु पालक किसानों के हस्ताक्षर युक्त आवेदन कलेक्टर कार्यालय दन्तेवाड़ा को दिया है। शासन को चाहिए की किसानों की परेशानी को भांपते हुवे जल्द से जल्द पशु चिकित्सक की नियुक्ति की जाए।
पशुधनविभाग के अजमेर सिंह कुशवाहा से जब इस बारे में बात की गई तो उनका कहना है कि दवाईयां शीघ्र उपलब्ध हो जाएगी साथ ही लगातार प्रसाशन के पशुचिकित्सक की मांग की जा रही है। जल्द ही बचेली में पशुचिकित्सक की नियुक्ति की जाएगी फिलहाल एक डॉक्टर की व्यवस्था की जा रही है। जो दंतेवाड़ा से बचेली जाकर बीमार पशुओं का इलाज करेंगे ।
बचेली गौ शाला सेवा समिति की अध्यक्ष गीतांजलि सरकार ने बताया की।सबसे ज्यादा प्रसव पीड़ा से ही गायों की या उनके बछड़े की मृत्यु हो रही है एक तो अस्पताल में दवाइयों की कमी दूसरा जो अस्पताल सहायक कर्मी है वो अपने अनुभव के आधार पर ही इलाज कर पाते है। विशेषज्ञ डाक्टर की कमी के चलते आये दिन पालतू पशुओं की मृत्यु हो रही है। गौ शाला की मांग भी लंबे समय से की जाती रही है परंतु विभागीय उदासीनता के चलते ये आज तक संभव नही हो पाया है। डेरी संचालक दूध नही देने वाली गायों को त्याग देते है जिसके बाद उनके घायल होने या बीमार होने की स्थिति में गौ सेवा संस्था उन पशुओं की निरंतर सेवा कर रहा है।
बचेली - सालो से पशु चिकित्सक का पद है रिक्त इलाज के अभाव में लगातार दम तोड़ रहे पालतू पशु।
पशु पालकों एवं किसानों ने पशु विभाग को दिया ज्ञापन
विभागीय लापरवाही के चलते पशुओं को न समय पर उपचार मिल रहा है न किसानों को शासन की महत्वपूर्ण योजना के तहत कृतिम गर्भ धारण की सुविधा..
पशु चिकित्सालय में नही है पर्याप्त दवाइयां
बचेली लौह नगरी में सालो से पशु चिकित्सक का पद खाली पड़ा हुआ है। जिसके चलते आये दिन दुधारू पशुओ की मौत से पशु पालकों को हजारो का नुकसान उठाना पड़ रहा है।किसानों की आर्थिक मजबूती मे पशु पालन का काफी महत्व होता है। एक किसान के लिए पशु पालन जीवन यापन का अहम साधन है. पशु विभाग की उदासीनता के चलते बीमार पशुओं को समय पर उपचार नही मिलने के कारण दुधारू पशु आये दिन दम तोड़ने की घटना सामने आ रही है रही है। पालतू पशुओं के मालिक भी पशु चिकित्सक के नही होने से बेहद परेशान है। आक्रोशित होकर बचेली तथा भांसी के पशु पालक किसानों ने एक आवेदन उप संचालक दन्तेवाड़ा को देते हुवे मंत्री पशु पालन विभाग छतीसगढ़ शासन रायपुर को भेजने के साथ ही कलेक्टर दन्तेवाड़ा को प्रतिलिपि देते हुवे किसानों ने अपनी पीड़ा व्यक्त की। किसानों ने कहा है की उनके साथ पशु विभाग Bके अधिकारियों का यही व्यवहार रहा तो वो राजधानी कूच करेगे ओर मुख्यमंत्री सहित विभागीय मंत्री को सारी वस्तु स्थिति से अवगत कराते हुवे अपनी बात रखेंगे । जिला प्रशासन को सोपे आवेदन में बचेली के 20 पशु पालक किसानों के हस्ताक्षर युक्त आवेदन कलेक्टर कार्यालय दन्तेवाड़ा को दिया है। शासन को चाहिए की किसानों की परेशानी को भांपते हुवे जल्द से जल्द पशु चिकित्सक की नियुक्ति की जाए।
पशुधनविभाग के अजमेर सिंह कुशवाहा से जब इस बारे में बात की गई तो उनका कहना है कि दवाईयां शीघ्र उपलब्ध हो जाएगी साथ ही लगातार प्रसाशन के पशुचिकित्सक की मांग की जा रही है। जल्द ही बचेली में पशुचिकित्सक की नियुक्ति की जाएगी फिलहाल एक डॉक्टर की व्यवस्था की जा रही है। जो दंतेवाड़ा से बचेली जाकर बीमार पशुओं का इलाज करेंगे ।
बचेली गौ शाला सेवा समिति की अध्यक्ष गीतांजलि सरकार ने बताया की।सबसे ज्यादा प्रसव पीड़ा से ही गायों की या उनके बछड़े की मृत्यु हो रही है एक तो अस्पताल में दवाइयों की कमी दूसरा जो अस्पताल सहायक कर्मी है वो अपने अनुभव के आधार पर ही इलाज कर पाते है। विशेषज्ञ डाक्टर की कमी के चलते आये दिन पालतू पशुओं की मृत्यु हो रही है। गौ शाला की मांग भी लंबे समय से की जाती रही है परंतु विभागीय उदासीनता के चलते ये आज तक संभव नही हो पाया है। डेरी संचालक दूध नही देने वाली गायों को त्याग देते है जिसके बाद उनके घायल होने या बीमार होने की स्थिति में गौ सेवा संस्था उन पशुओं की निरंतर सेवा कर रहा है।
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