अमृतसर / राजासांसी के निरंकारी भवन पर ग्रेनेड फेंका गया, 3 की मौत
बाइक से आए थे हमलावर
राजासांसी स्थित निरंकारी भवन, जहां हमला किया गया। 11 बजे किया गया हमला राजासांसी स्थित निरंकारी भवन, जहां हमला किया गया।हमले के वक्त भवन में सत्संग चल रहा था, 250 लोग मौजूद थे
सूत्रों के मुताबिक, पुलिस को विदेशी कट्टरपंथी संगठनों पर हमले का शक 1978 में उग्रवाद की शुरुआत निरंकारी भवन पर हमले से हुई थी। अमृतसर. यहां के राजासांसी स्थित निरंकारी भवन में रविवार को ग्रेनेड से किए गए हमले और गोलीबारी में तीन लोगों की मौत हो गई। 20 जख्मी हुए। इनमें से एक की हालत नाजुक है। घटना सुबह 11 बजे की है। हमले के वक्त भवन में सत्संग चल रहा था। करीब 250 लोग मौजूद थे। धमाके के बाद दिल्ली के निरंकारी भवन की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। पुलिस इसे आतंकी हमला मान रही है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा- इस हमले में आईएसआई समर्थित खालिस्तानी और कश्मीरी आतंकी संगठनों का हाथ होने से इंकार नहीं किया जा सकता। इस मामले में पुलिस टीमें लगातार छापेमार कार्रवाई कर रही हैं। सभी एंगल को ध्यान में रखकर जांच की जा रही है। आईजी सुरिंदर पाल सिंह ने बताया, ‘‘शुरुआती जांच में पता चला है कि दो हमलावर बाइक से आए। यहां एक ग्रेनेड फेंका और फरार हो गए।’’ मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि पुलिस को घटना के पीछे विदेशी कट्टरपंथी संगठनों पर शक है। आतंकी जाकिर मूसा भी हो सकता है हमले के पीछे अलकायदा के आतंकी जाकिर मूसा के यहां कुछ लोगों से संपर्क में होने की सूचनाएं हैं। पिछले दिनों पठानकोट से कार हाईजैक कर चार संदिग्धों के पंजाब में घुसे होने की सूचना भी मिली थी। ये लोग जम्मू रेलवे स्टेशन के सीसीटीवी फुटेज में भी नजर आए थे। दिल्ली से सुरक्षा एजेंसियों ने पांच और संदिग्ध आतंकियों की तस्वीरें पंजाब के डीजीपी सुरेश अरोड़ा को मेल की गई थीं। इसके चलते पिछले कई दिनों से पंजाब में हाईअलर्ट था। 40 साल पहले निरंकारियों-अकालियों में हुई थी हिंसा
पंजाब में उग्रवाद की शुरुआत 13 अप्रैल 1978 को वैसाखी के दिन हुई एक हिंसक घटना से हुई थी। तब अमृतसर में निरंकारी भवन पर हमला किया गया था। इसके बाद अकाली कार्यकर्ताओं और निरंकारियों के बीच हिंसक झड़प हुई थी, इसमें 13 अकाली कार्यकर्ता मारे गए थे। रोष दिवस में सिख धर्म प्रचार की संस्था के प्रमुख जरनैल सिंह भिंडरांवाले ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। कई पर्यवेक्षक इस घटना को पंजाब में चरमपंथ की शुरुआत के तौर पर देखते हैं।
dm सोनी संवाददाता निष्पक्ष मीडिया जंक्शन बचेली
बाइक से आए थे हमलावर
राजासांसी स्थित निरंकारी भवन, जहां हमला किया गया। 11 बजे किया गया हमला राजासांसी स्थित निरंकारी भवन, जहां हमला किया गया।हमले के वक्त भवन में सत्संग चल रहा था, 250 लोग मौजूद थे
सूत्रों के मुताबिक, पुलिस को विदेशी कट्टरपंथी संगठनों पर हमले का शक 1978 में उग्रवाद की शुरुआत निरंकारी भवन पर हमले से हुई थी। अमृतसर. यहां के राजासांसी स्थित निरंकारी भवन में रविवार को ग्रेनेड से किए गए हमले और गोलीबारी में तीन लोगों की मौत हो गई। 20 जख्मी हुए। इनमें से एक की हालत नाजुक है। घटना सुबह 11 बजे की है। हमले के वक्त भवन में सत्संग चल रहा था। करीब 250 लोग मौजूद थे। धमाके के बाद दिल्ली के निरंकारी भवन की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। पुलिस इसे आतंकी हमला मान रही है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा- इस हमले में आईएसआई समर्थित खालिस्तानी और कश्मीरी आतंकी संगठनों का हाथ होने से इंकार नहीं किया जा सकता। इस मामले में पुलिस टीमें लगातार छापेमार कार्रवाई कर रही हैं। सभी एंगल को ध्यान में रखकर जांच की जा रही है। आईजी सुरिंदर पाल सिंह ने बताया, ‘‘शुरुआती जांच में पता चला है कि दो हमलावर बाइक से आए। यहां एक ग्रेनेड फेंका और फरार हो गए।’’ मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि पुलिस को घटना के पीछे विदेशी कट्टरपंथी संगठनों पर शक है। आतंकी जाकिर मूसा भी हो सकता है हमले के पीछे अलकायदा के आतंकी जाकिर मूसा के यहां कुछ लोगों से संपर्क में होने की सूचनाएं हैं। पिछले दिनों पठानकोट से कार हाईजैक कर चार संदिग्धों के पंजाब में घुसे होने की सूचना भी मिली थी। ये लोग जम्मू रेलवे स्टेशन के सीसीटीवी फुटेज में भी नजर आए थे। दिल्ली से सुरक्षा एजेंसियों ने पांच और संदिग्ध आतंकियों की तस्वीरें पंजाब के डीजीपी सुरेश अरोड़ा को मेल की गई थीं। इसके चलते पिछले कई दिनों से पंजाब में हाईअलर्ट था। 40 साल पहले निरंकारियों-अकालियों में हुई थी हिंसा
पंजाब में उग्रवाद की शुरुआत 13 अप्रैल 1978 को वैसाखी के दिन हुई एक हिंसक घटना से हुई थी। तब अमृतसर में निरंकारी भवन पर हमला किया गया था। इसके बाद अकाली कार्यकर्ताओं और निरंकारियों के बीच हिंसक झड़प हुई थी, इसमें 13 अकाली कार्यकर्ता मारे गए थे। रोष दिवस में सिख धर्म प्रचार की संस्था के प्रमुख जरनैल सिंह भिंडरांवाले ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। कई पर्यवेक्षक इस घटना को पंजाब में चरमपंथ की शुरुआत के तौर पर देखते हैं।
dm सोनी संवाददाता निष्पक्ष मीडिया जंक्शन बचेली
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